Friday 10 February 2017

बच्चों का सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं काव्य निशा

’’परहित जीना परहित मरना, रीति यही थी भारत की’’
           हंसवाहिनी हाईस्कूल खलेसर उमरिया में बसन्तोत्सव मनाया गया। बच्चों ने विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी तदुपरान्त काव्य पाठ का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर के व्यवसायी धीरज सोनी एवं संचालन राज कुमार महोबिया के द्वारा किया गया। माँ वीणापाणि के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन अध्यक्ष एवं प्राचार्य आर पी राय के द्वारा किया गया। विद्यालय की बच्चियों ने सरस्वती वन्दना एवं स्वागत गीत गाया। प्राचार्य के द्वारा सभी अतिथि कवियों का स्वागत सम्मान किया गया। यातायात निरीक्षक अभिराज सिंह ने बसंत का स्वागत कुछ इस प्रकार किया- ‘ऋतुओं के राजा बसंत लाल आए हैं, चारों ओर प्यार ही प्यार बरसाये हैं।‘ शिवानन्द पटेल ने बघेली में रचना पढ़ी- ‘आजकाल के लड़का बच्चा कहा बतान न मानै।‘ राम लखन सिंह चौहान ने हास्य की रचना सुनाई- ‘जंगल में जन्मदिन सीकट मनाये, वन्य प्राणी सब आये।‘ कालरी कर्मचारी शंकर प्रसाद बर्मन ने तिरंगे को लेकर अपनी बात कही- ‘हवा में लहराता आसमान को चूमता।‘ प्रेम शंकर मिर्जापुरी ने कलम को लेकर एक संजीदा कविता पढ़ी- ‘रुक नहीं सकती कलम लिखना बाकी है अभी।‘ सेवानिवृत्त नगर निरीक्षक शेख धीरज ने पुलिस पर ही कविता पढ़ी- ‘पुलिस वालों में भी बदलाव आ रहा है।‘ भूपेन्द्र त्रिपाठी ने भारतीय संस्कृति पर अपनी बात कही- ‘परहित जीना परहित मरना, रीति यही थी भारत की।‘ शिक्षक करन सिंह ने सैनिकों पर भाव प्रगट किए- ‘अरे तनिक उनकी भी सोचो, जो जीते हिम बीच सदा।‘ वातायन के संरक्षक एम ए सिद्दीकी ने आतंकवादियों से कहा- अजीजों को अपने उड़ाकर तो देखो।‘ बघेली के रचनाकार जगदीश पयासी ने पुरानी बातों को याद किया- ‘बहुतै निकहा रहे फलाने, सबदिन जियें आन के लाने।‘ वरि. कवि शम्भू सोनी ने व्यंग विधा में कुण्डलिया सुनाई- ‘जगहर रात भरे के जेखर, पलक न झपके पाई, वहौ सकारे बेंचत बागै, खटमल मार दबाई।‘ सत्येन्द्र गौतम ने भी बघेली में काव्यपाठ किया- ‘निकहा के हम पसर जई।‘ संचालन कर रहे राज कुमार महाबिया ने बसन्त पर अपनी बात कही- ‘कोयल की तानों नव अभिनंन्दन दिखता है, आज प्रकृति में बासन्ती आलिंगन दिखता है।‘ ज्वालामुखी कालोनी निवासी उमा गौतम ने व्यवहारिक परिवर्तन पर अपनी बात रखी- ‘क्या थे तुम क्या हो गए।‘ वातायल के सचिव अनिल कुमार मिश्र ने कविता के माध्यम से गाँव जाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा- ‘कबसे रहा पुकार कहो क्या गाँव चलोगे, मिलें पुरनिया यार कहो क्या गाँव चलोगे।‘ समाजसेवी एवं पत्रकार संतोश द्विवेदी एक शानदार व्यंग की रचना ’’प्रोजेक्ट और आइडिया’’ शीर्षक से सुनाई। कार्यक्रम के अन्त में हंसवाहिनी हाई स्कूल प्राचार्य ने अघ्यक्ष, सभी अतिथि कवियों एवं सभी श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया।

प्रस्तुति- अनिल कुमार मिश्र, उमरिया