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Sunday, 13 January 2019

मौजूदा साहित्यिक परिदृश्य में लोकोदय प्रकाशन का ऐतिहासिक हस्तक्षेप


अगर समाज में सबकुछ ठीक हो, सबकुछ अनुकूल हो तो लेखक कुछ नहीं लिख पाएगा क्योंकि साहित्य की प्रासंगिकता विरोध में ही होती है। यह मानना है वरिष्ठ और मशहूर आलोचक कर्ण सिंह चौहान का। लखनऊ के लोकोदय प्रकाशन की ओर से समकालीन साहित्यिक परिदृश्य और घटती पाठकीयता विषय पर आयोजित संगोष्ठी में अध्यक्षीय भाषण देते हुए श्री चौहान ने कहा कि समाज के जो मौजूदा हालात हैं, वह बागी और क्रांति की मानसिकता रखने वाले लेखकों के लिए अपनी लेखनी को समृद्ध बनाने का स्वर्णिम मौका प्रदान करते हैं।

विषय प्रवर्तन करते हुए युवा कवि सिद्धार्थ बल्लभ ने घटती पाठकीयता को लेकर कई सवाल उठाए थे। इन सवालों पर श्री चौहान ने कहा कि किताबों की बिक्री जरूर घटी है लेकिन पाठकीयता कम नहीं हुई है क्योंकि तकनीकी विकास के साथ पढ़ने के माध्यम बदले हैं। उन्होंने लेखकों-प्रकाशकों को सलाह दी कि वो केवल किताबों तक सीमित नहीं रहकर नए माध्यमों को भी अपनाएँ, तभी वह दुनिया भर के लाखों करोड़ों पाठकों तक पहुँच सकेंगे।
आलोचक संजीव कुमार का मानना था कि उम्दा साहित्य के पाठक हमेशा ही कम होते हैं क्योंकि वह आम पाठक के कॉमन सेंस पर चोट करता है। उनका मानना था कि इसलिए उम्दा साहित्य लोकप्रिय साहित्य से अलग हैं। रत्न कुमार संभारिया और दूसरे वक्ता इस बात से असहमत थे कि पाठकों की संख्या कम हो रही है। उनका कहना था कि अगर अच्छा लिखा जाएगा तो पाठक जरूर पढ़ेगा। लेखक का जोर क्वांटिटी पर नहीं क्वालिटी पर होना चाहिए।
दिल्ली के कड़कड़डूमा में आयोजित इस कार्यक्रम के पहले सत्र में युवा कथाकार एजाजुल हक को लोकोदय नवलेखन सम्मान से नवाजा गया और उनके कहानी संग्रह “अँधेरा कमरा’ का लोकार्पण भी किया गया। यह एक ऐतिहासिक घटना रही कि इस अवसर पर कुछ 16 पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। इसके लिए समारोह में मौजूद सभी रचनाकारों ने बृजेश नीरज की खूब तारीफ की। मौजूदा सामाजिक-राजनीतिक और सांस्कृतिक माहौल में एक साथ 16 पुस्तकों का लोकार्पण एक सार्थक और साहसिक हस्तक्षेप है।

वरिष्ठ कवि विजेंद्र के कविता संग्रह जो न कहा कविता में का लोकार्पण एक दिन पहले ही कवि के आवास पर ही किया गया था। समारोह में सुशील कुमार की आलोचना की पुस्तक आलोचना का विपक्ष, गणेश गनी के कविता संग्रह वह साँप-सीढ़ी नहीं खेलता, सत्येंद्र प्रसाद श्रीवास्तव के कविता संग्रह अँधेरे अपने अपने, डॉ शिव कुशवाहा के संपादन में प्रकाशित पाँच कवियों की प्रतिनिधि कविताओं के संग्रह शब्द-शब्द प्रतिरोध, डॉ मोहन नागर के कविता संग्रह अब पत्थर लिख रहा हूँ इन दिनों, कुमार सुरेश के व्यंग्य उपन्यास तंत्र कथा, प्रद्युम्न कुमार सिंह के कविता संग्रह कुछ भी नहीं होता अनन्त, हनीफ मदार के कहानी संग्रह रसीद नंबर ग्यारह, डॉ गायत्री प्रियदर्शिनी के कविता संग्रह उठते हुए, अनुपम वर्मा के कहानी संग्रह मॉब लिचिंग, भरत प्रसाद के सृजन पर केंद्रित और बृजेश नीरज द्वारा सम्पादित पुस्तक शब्द शब्द प्रतिबद्ध, अतुल अंशुमाली के उपन्यास सदानन्द एक कहानी का अन्त, शम्भु यादव के कविता संग्रह साध रहा है जीवन निधि का लोकार्पण हुआ।

प्रगति मैदान में पुस्तक मेला चल रहा था। पुस्तक मेला और एक दिन बचा हुआ था लेकिन बावजूद इसके वहाँ से करीब 13 किलोमीटर दूर कड़कड़डूमा में आयोजित इस समारोह में रचनाकारों और पाठकों की भीड़ देखते बनती थी। पूरा हॉल खचाखच भरा हुआ था। अलग-अलग राज्यों के रचनाकारों की मौजूदगी ने समारोह को और खास बना दिया। युवा कवि आलोचक अरूण कुमार ने दोनों सत्रों का बेहतरीन संचालन किया। युवा चित्रकार पंकज तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

Thursday, 3 January 2019

लोकोदय साहित्य संवाद


दिनांक- 12 जनवरी 2019
समय- अपराह्न 2.00 बजे
स्थान - IRMED, 2 b, institutional area, near kadkaddooma metro station, Kadkaddooma, Delhi- 110092
लैंडमार्क - दीपक मेमोरियल हॉस्पिटल के सामने
प्रथम सत्र- विमोचन व सम्मान समारोह
लोकोदय नवलेखन सम्मान- एजाजउल हक, कहानी संग्रह- अँधेरा कमरा
वक्ता- अजमेर सिंह काजल
लोकोदय प्रकाशन की पुस्तकों का लोकार्पण
अध्यक्षता- राजकुमार राकेश
वक्ता- सुशील कुमार, भरत प्रसाद, हनीफ मदार, अनीता चौधरी, गायत्री प्रियदर्शनी, विमल कुमार, गणेश गनी, सतीश खनगवाल, शम्भु यादव, कुमार सुरेश, अब्दुल हाशिम, मोहन नागर, प्रद्युम्न कुमार, शिव कुशवाह, अनुपम वर्मा, दीपा
धन्‍यवाद- सोनाली मिश्र
द्वितीय सत्र- परिचर्चा
विषय- समकालीन साहित्यिक परिदृश्य और घटती पाठकीयता
अध्यक्षता- कर्ण सिंह चौहान
मुख्य अतिथि- जयप्रकाश कर्दम
विशिष्ट अतिथि - रूप सिंह चंदेल
वक्ता- बली सिंह, रतन कुमार सांभरिया, रजनी अनुरागी, मुकेश मिरोठा
स्वागत- बृजेश नीरज
विषय प्रवर्तन- सिद्धार्थ वल्लभ
संचालन- अरुण कुमार
मीडिया एवं धन्‍यवाद- सत्येंद्र श्रीवास्तव

Monday, 10 December 2018

पुस्तक विमोचन और सम्मान समारोह


दिनांक- 16-12-2018
समय- अपराह्न 1.00 बजे से 4.30 बजे तक
स्थान- वन अवध सेंटर मॉल (सिनेपोलिस), विभूति खण्ड, गोमती  
      नगर, लखनऊ   

प्रथम सत्र- पुस्तक विमोचन व सम्मान
वरिष्ठ नवगीतकार मधुकर अष्ठाना को स्व. जगदीश गौतम स्मृति सम्मान
मधुकर अष्ठाना द्वारा संपादित पुस्तक ‘नवगीत के विविध आयाम’ का विमोचन

युवा नवगीतकार सज्जन धर्मेन्द्र को लोकोदय नवलेखन सम्मान
सज्जन धर्मेन्द्र के नवगीत संग्रह ‘नीम तले’ का विमोचन
  
प्रदीप कुमार कुशवाह को लोकोदय सम्मान

राजीव मित्तल व अनुपम वर्मा की पुस्तक ‘हमनवा’ के दूसरे संस्करण का विमोचन

दूसरा सत्र- परिचर्चा
विषय- समकालीन साहित्य और आज के सवाल
वक्ता- चंद्रेश्वर, मधुकर अष्ठाना, गोपाल गोयल, डॉ अनिल मिश्र, महेन्द्र भीष्म, राजीव मित्तल, अरुण सिंह, उमाशंकर सिंह परमार, अजीत प्रियदर्शी, सिद्धार्थ वल्लभ, अनिल कुमार पाण्डेय, अरुण कुमार, सज्जन धर्मेन्द्र, अनुपम वर्मा आदि

दूसरा सत्र- आमंत्रित कवियों का काव्य पाठ
आमंत्रित कवि- रामदेव लाल विभोर, मधुकर अष्ठाना, श्याम श्रीवास्तव, चन्द्र प्रकाश पाण्डेय, रामबहादुर मिसिर, राजेन्द्र शुक्ल राज, डॉ अनिल मिश्र, अविनीश त्रिपाठी, संध्या सिंह, अरुण श्री, रामशंकर वर्मा, धीरज मिश्र, कृष्ण नन्दन मौर्य, रविशंकर मिश्र, कल्पना मिश्र, अन्नपूर्णा बाजपेयी, आभा खरे आदि  
संचालन- मनोज शुक्ल ‘मनुज’  

आप सादर आमंत्रित हैं!

संपर्क- 9076633657

Friday, 10 February 2017

बच्चों का सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं काव्य निशा

’’परहित जीना परहित मरना, रीति यही थी भारत की’’
           हंसवाहिनी हाईस्कूल खलेसर उमरिया में बसन्तोत्सव मनाया गया। बच्चों ने विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी तदुपरान्त काव्य पाठ का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर के व्यवसायी धीरज सोनी एवं संचालन राज कुमार महोबिया के द्वारा किया गया। माँ वीणापाणि के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन अध्यक्ष एवं प्राचार्य आर पी राय के द्वारा किया गया। विद्यालय की बच्चियों ने सरस्वती वन्दना एवं स्वागत गीत गाया। प्राचार्य के द्वारा सभी अतिथि कवियों का स्वागत सम्मान किया गया। यातायात निरीक्षक अभिराज सिंह ने बसंत का स्वागत कुछ इस प्रकार किया- ‘ऋतुओं के राजा बसंत लाल आए हैं, चारों ओर प्यार ही प्यार बरसाये हैं।‘ शिवानन्द पटेल ने बघेली में रचना पढ़ी- ‘आजकाल के लड़का बच्चा कहा बतान न मानै।‘ राम लखन सिंह चौहान ने हास्य की रचना सुनाई- ‘जंगल में जन्मदिन सीकट मनाये, वन्य प्राणी सब आये।‘ कालरी कर्मचारी शंकर प्रसाद बर्मन ने तिरंगे को लेकर अपनी बात कही- ‘हवा में लहराता आसमान को चूमता।‘ प्रेम शंकर मिर्जापुरी ने कलम को लेकर एक संजीदा कविता पढ़ी- ‘रुक नहीं सकती कलम लिखना बाकी है अभी।‘ सेवानिवृत्त नगर निरीक्षक शेख धीरज ने पुलिस पर ही कविता पढ़ी- ‘पुलिस वालों में भी बदलाव आ रहा है।‘ भूपेन्द्र त्रिपाठी ने भारतीय संस्कृति पर अपनी बात कही- ‘परहित जीना परहित मरना, रीति यही थी भारत की।‘ शिक्षक करन सिंह ने सैनिकों पर भाव प्रगट किए- ‘अरे तनिक उनकी भी सोचो, जो जीते हिम बीच सदा।‘ वातायन के संरक्षक एम ए सिद्दीकी ने आतंकवादियों से कहा- अजीजों को अपने उड़ाकर तो देखो।‘ बघेली के रचनाकार जगदीश पयासी ने पुरानी बातों को याद किया- ‘बहुतै निकहा रहे फलाने, सबदिन जियें आन के लाने।‘ वरि. कवि शम्भू सोनी ने व्यंग विधा में कुण्डलिया सुनाई- ‘जगहर रात भरे के जेखर, पलक न झपके पाई, वहौ सकारे बेंचत बागै, खटमल मार दबाई।‘ सत्येन्द्र गौतम ने भी बघेली में काव्यपाठ किया- ‘निकहा के हम पसर जई।‘ संचालन कर रहे राज कुमार महाबिया ने बसन्त पर अपनी बात कही- ‘कोयल की तानों नव अभिनंन्दन दिखता है, आज प्रकृति में बासन्ती आलिंगन दिखता है।‘ ज्वालामुखी कालोनी निवासी उमा गौतम ने व्यवहारिक परिवर्तन पर अपनी बात रखी- ‘क्या थे तुम क्या हो गए।‘ वातायल के सचिव अनिल कुमार मिश्र ने कविता के माध्यम से गाँव जाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा- ‘कबसे रहा पुकार कहो क्या गाँव चलोगे, मिलें पुरनिया यार कहो क्या गाँव चलोगे।‘ समाजसेवी एवं पत्रकार संतोश द्विवेदी एक शानदार व्यंग की रचना ’’प्रोजेक्ट और आइडिया’’ शीर्षक से सुनाई। कार्यक्रम के अन्त में हंसवाहिनी हाई स्कूल प्राचार्य ने अघ्यक्ष, सभी अतिथि कवियों एवं सभी श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया।

प्रस्तुति- अनिल कुमार मिश्र, उमरिया 

Friday, 27 January 2017

गणतंत्र दिवस के अवसर पर - काव्य निशा सम्पन्न


’’जग से अच्छा देश है मेरा शहर से प्यारा गाँव,
प्रातः चिड़िया चूं चूं करती कौवा काँव-काँव’’
            68वें गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर उमरिया के समीपी गाँव दुब्बार के निवासी शिवबदन यादव ने अपने गाँव में साहित्यिक संस्था वातायन के सहयोग से काव्य निशा का आयोजन किया। दुब्बार गाँव के कई लोग इस अवसर पर उपस्थित रहे। शम्भू सोनी पागलद्वारा माँ वीणापाणि की स्तुति के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ।

            सर्वप्रथम मेजबान कवि शिवबदन यादव ने स्वागत गीत गाकर सभी अतिथियों का स्वागत किया। हास्य की रचना पढ़ते हुए राम लखन सिंह चौहान ने कुछ इस प्रकार गुदगुदाया जंगल में जन्मदिन सीकट मनाए, वन प्राणी सब आए। उमरिया कालरी में कार्यरत शिवानन्द पटेल ने गणतंत्र पर अपनी बात इस प्रकार कही अमर रहे गणतंत्र हमारा, जब तक चाँद-सितारा। हास्य व्यंग की रचना पढ़ते हुए शेख धीरज ने सुनाया अंध विश्वासों की गोद में जो पलते हैं, कदम-कदम पर वही रास्ता बदलते हैं। मंगठार से पधारे अनन्त उपाध्याय ने सीमा प्रहरियों के बलिदान को नमन करते हुए कहा शहादत रंग लाती है कभी खाली नहीं जाती, अमर बलिदान की बेला कभी टाली नहीं जाती। ग्राम गिंजरी से आए जगदीश पयासी ने अपनी रचना से लोगों को खूब हँसाया ज्याखर लागै छुआतू मौसी ओउ बहनेउता आंय, हमरे घर के दुइठे टोरवा कैंची अउ सरौता आंय। ग्राम परिवेश का सटीक चित्रण करते हुए नगरपालिका कर्मचारी प्रेम शंकर मिर्जापुरी ने एक गीत सुनाया ’’जग से अच्छा देश है मेरा शहर से प्यारा गाँव, प्रातः चिड़िया चूं चूं करती कौवा काँव-काँव’’। मेजवान कवि शिव बदन यादव ने जल संकट के प्रति सचेत करते हुए कहा जल ही जीवन है, जल बिन होई न काम। शिक्षक राज कुमार महोबिया ने एक शानदार गीत सुनाया अगर दुश्मन भी घर आए तो वो मेहमान लगता है, हमें हर एक पत्थर में छुपा भगवान दिखता है। उमरिया कालरी में ही कार्यरत अनिल कुमार मिश्र ने एक आवाहन करते हुए कहा एक दीप मैं लेकर आऊँ तुम भी एक लिए आना, देहरी एक करूँ मैं रोशन तुम भी एक किए आना। उमरिया नगर के वरिष्ठ रचनाकार शम्भू सोनी ने सियासत पर व्यंग करते हुए कहा राजा है शैतान शिकायत किससे करते, मंत्री है बेइमान शिकायत किससे करते। देर रात तक चले शानदार आयोजन का सफल संचालन अनिल कुमार मिश्र ने किया। शिव बदन यादव ने सभी कवियों एवं उपस्थित साहित्य सुधी जनों के प्रति आभार व्यक्त किया। 

प्रस्तुति- अनिल कुमार मिश्र, उमरिया

Wednesday, 27 April 2016

आमंत्रण- साहित्यिक कार्यक्रम

लोकोदय प्रकाशन एवं अमर भारती साहित्य एवं संस्कृति संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक ०८ मई २०१६ को ‘पोस्टर प्रदर्शनी, संगोष्ठी एवं कविता पाठ’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया है! इस कार्यक्रम में आप सभी मित्र सादर आमंत्रित हैं.

कार्यक्रम की रूपरेखा 

कार्यक्रम- पोस्टर प्रदर्शनी, संगोष्ठी एवं कविता पाठ 
दिनांक- 08 मई 2016 
स्थान- डिप्लोमा इंजीनियर संघ प्रेक्षागृह, 98, महात्मा गांधी मार्ग, राज भवन कॉलोनी, हज़रतगंज, लखनऊ- 226001
समय- प्रातः 10 बजे से सायं 4.00 तक 

प्रथम सत्र- कुँवर रवीन्द्र की कविता-पोस्टर प्रदर्शनी एवं परिचर्चा 
समय- प्रातः 10.00 बजे से 10.30 बजे तक

द्वितीय सत्र- संगोष्ठी
विषय- समकालीन कविता में हाशिए के सवाल
समय- प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 01.00 बजे तक

भोजनावकाश- दोपहर 01.00 बजे से 1.30 बजे तक

तृतीय सत्र- कविता पाठ
समय- अपराह्न 1.30 बजे से सायं 4.00 बजे तक

संपर्क- 9838878270, 7376620633, 7388178459, 8423114555
ई-मेल- lokodayprakashan@gmail.com

कार्यक्रम स्थल

चारबाग रेलवे स्टेशन से कार्यक्रम स्थल तक का मार्ग