Sunday 14 May 2017

पाठक का रोजनामचा



यह चौथी किताब है । इस किताब मे अलग अलग समय पर विभिन्न विषयों पर लिखे गये आलेखों का संग्रह है । कुछ मेरे प्रारम्भिक लेख भी इसमें है जैसे आदिकाल और लोकजीवन, भक्ति का उदय और लोक की भूमिका, सन्तपरम्परा और दादू दयाल, लेकिन अधिकतर आलेख पढी हुई किताबों पर हैं । साथी योगेंद्र कृष्णा की कविता के विरुद्ध, Bharat Prasad की एक पेढ़ की आत्मकथा, सुशील कुमार की जनपद झूठ नही बोलता, राजकिशोर राजन की कुशीनारा से गुजरते, घनश्याम त्रिपाठी की समुद्र को बाँधना अभी शेष है, अजय कुमार पांण्डेय की यही दुनिया है, Brijesh Neeraj का कोहरा सूरज धूप, Ganesh Gani की कविताओ पर प्रतिक्रिया, बिहर के बुजुर्ग गज़लकार नन्द किशोर नन्दन के गज़ल संग्रह और आग हुए हम, गीतकार रामशंकर वर्मा Ramshanker Verma के गीत संग्रह की भूमिका भी इसी मे सन्निविष्ट है । वरिष्ठ कथाकार Harnot SR Harnot के कहानी संग्रह लिटन ब्लाक गिर रहा था, Hareprakash Upadhyay के उपन्यास बखेडापुर, सन्दीप मील Sandeep Meel के कहानी संग्रह कोकिला शास्त्र और दूजी मीरा पर आलेखों के अतिरिक्त दो प्रतिरोध के आलोचकों नीलकान्त, गणेश पाण्डेय Ganesh Pandey की आलोचकीय स्थापनाओं पर चर्चा है । इनमे से कई सारे आलेख पहले छप चुके हैं कुछ नये लिखे हैं तो कुछ मे किताब के शीर्षक के अनुरूप फेरबदल किया है । किताब का कवर जाने माने चित्रकार Banshilal Parmar जी ने बनाया है उनका बहुत बहुत आभार, प्रकाशन के लिए लोकोदय प्रकाशन का धन्यवाद!
- उमाशंकर सिंह परमार 

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