उमरिया जिले की साहित्यिक क्षेत्र की अग्रणी संस्था वातायन का दो सत्रीय पन्द्रहवाँ स्थापना दिवस सामुदायिक भवन में मनाया गया। इस अवसर पर विभिन्न आयोजन किए गये। कार्यक्रम में जबलपुर, कटनी, शहडोल, अनूपपुर जिलों से कई विद्वजनों ने अपनी उपस्थति दी। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. नीलमणि दुबे (हिन्दी विभागाध्यक्ष महा. शहडोल) रहीं एवं अध्यक्षता जबलपुर के मनीषी आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ (सेवानिवृत मुख्य अभियंता) ने किया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता अमरकंटक विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. राकेश सोनी एवं कटनी के प्रसिद्ध नवगीतकार राजा अवस्थी थे। सर्वप्रथम माँ सरस्वती एवं संस्था के जनक स्व. राम नरेश मिश्र के तेल चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण के बाद कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। संस्था सचिव अनिल कुमार मिश्र द्वारा संस्था की गतिविधियों, उद्देश्य आदि के विषय में विस्तृत जानकारी पटल पर रखी गयी। अतिथियों के स्वागत के पश्चात सर्वप्रथम जबलपुर की श्रीमती विनीता श्रीवास्तव शिक्षाविद एवं सामाजिक क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य करने के लिए शिक्षक राज कुमार महोबिया के द्वारा पिता छोटे लाल महोबिया की स्मृति में दिया जाने वाला ‘वातायन वागीश सम्मान’ प्रदान किया गया। स्व. विक्रम सिंह की याद में स्थापित ‘वातायन सौरभ सम्मान’ अमरकंटक के डॉ. राकेश सोनी को राम लखन सिंह चौहान एवं उनके अग्रज के द्वारा प्रदान किया गया। वर्ष 2018 में स्व. महेश सिंह की स्मृति में उनके अनुज करन सिंह (शिक्षक) के द्वारा स्थापित ‘वातायन पीयूष सम्मान’ बल्हौड़ जिला उमरिया के विद्वान् रामनिहोर तिवारी को ‘कबीर’ पर महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए प्रदान किया गया। वातायन के संस्थापक पं. राम नरेश मिश्र की स्मृति में वर्ष 2006 से स्थापित ‘वातायन सुमन सम्मान’ शहडोल के वरिष्ठ गीतकार अवध प्रताप सरन को साहित्यिक अवदान के लिए अनिल कुमार मिश्र के द्वारा प्रदान किया गया। सम्मान के बाद अतिथि विद्वानों द्वारा ‘इन्द्रधनुष’ साझा काव्य संकलन लोकोदय प्रकाशन, लखनऊ संपादन अनिल कुमार मिश्र, शब्दांजलि काव्य संग्रह रामचंद्र प्रसाद कर्ण बीरसिंहपुर पाली, “धरती के आँसू” काव्य संग्रह एवं “सफ़र” कहानी एवं लेख संग्रह कैलाश शिवेन्द्र ब्यौहारी, “दोहा दीप्त दिनेश” दोहा संग्रह सम्पादक आचार्य संजीव सलिल तथा डॉ. साधना वर्मा विश्ववाणी हिन्दी संस्थान जबलपुर का विमोचन किया गया। विमोचन पश्चात प्रथम वक्ता के रूप में डॉ. राकेश के द्वारा स्व. राम नरेश मिश्र और उनका कविता संसार विषय पर बोलते हुए कहा कि मिश्र जी का काव्य संसार वृहद स्वरूप ग्रहण किये हुए है। इनके काव्य कौशल का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि सहज सरल शब्दों में जन की बात को जन-जन तक पहुँचाने में सफल दिखायी देते हैं। नवगीतकार राजा अवस्थी ने कविता के बदलते स्वरूप पर कहा कि कविता की यही विशेषता है कि वह किसी कालखंड में बंधकर नहीं रहती। यह समय के अनुसार अपना रूप बदलती रहती है। जायसी, तुलसी, केसव, कबीर, रहीम, मीरा, सूर से चलती हुई कविता आज छन्दमुक्त और नवगीत तक आकर और मुखर हुई है। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. नीलमणि दुबे ने मानस और श्रुतिओं के साथ कविता के रस लालित्य पर बात रखी तो लोग मंत्रमुग्ध हो सुनते रहे। दोहों से शुरुआत कर अध्यक्षीय उद्बोधन में सलिल वर्मा ‘सलिल’ ने काव्य के आवश्यक तत्व और सौन्दर्य पर प्रकाश डाला। साथ ही इस प्रकार के आयोजन के महत्व को भी बताते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन होने से सहित्य के प्रति लोगों में रूचि भी पैदा होती है। नर्मदा क्षेत्र में जो काव्य सृजन अछूता रहा गया है और लोगों तक नहीं पहुँच पाया है उसे भी जन-जन तक पहुँचाने की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रथम सत्र में आभार प्रदर्शन संस्था अध्यक्ष श्रीश चन्द्र भट्ट एवं सञ्चालन संतोष द्विवेदी द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में आमत्रित कवियों साहित्यकारों के द्वारा रचना पाठ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का द्वितीय सत्र जबलपुर से पधारे वरि. कवि बसन्त शर्मा की अध्यक्षता एवं ढीमरखेड़ा से आये विजय बागरी एवं कैलाश शिवेन्द्र ब्यौहारी के मुख्य आतिथ्य में प्रारम्भ हुआ। राजा अवस्थी, विनीता श्रीवास्तव, अशोक अवधिया, नागेन्द्र नाथ तिवारी, रामचंद्र प्रसाद कर्ण, बसंत शर्मा, विजय बागरी, कैलाश शिवेंद्र और उमरिया प्रतिनिधि के रूप में वातायन के संरक्षक एम ए सिद्दीकी ने रचना पाठ किया। कार्यक्रम में अभय पांडे, गेंदन सिंह, गोपाल गुमसुम, मकसूद खान नियाजी, मृगेंद्र सिंह, पी के सिंह, बसर जी, चिम्मन लाल जी, शिवानन्द पटेल,सूर्य प्रकाश गौतम, धीरज सोनी, ओंकारनाथ अग्रवाल, श्रवण चतुर्वेदी, मकरंद प्रसाद मिश्र, शेख धीरज, नागेन्द्र मिश्र, जावेद खान, सुरेश अवधिया, पारस नाथ शर्मा, राम विशाल गुप्ता, पुष्प राज सिंह, प्रदीप रजक, शेख उस्मान, याकूब खान, शंकर प्रसाद बर्मन, सत्येन्द्र गौतन, महेश अजनबी, भूपेन्द्र त्रिपाठी आदि प्रबुद्ध नागरिकों की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम का संचालन राज कुमार महोबिया एवं आभार प्रदर्शन शम्भू सोनी के द्वारा किया गया।
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