Monday, 2 September 2019

व्यवस्था के खिलाफ सटीक हस्तक्षेप है तंत्रकथा

व्यवस्था के खिलाफ सटीक हस्तक्षेप है तंत्रकथा- ओम भारती।
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विगत दिवस स्थानीय रोशन रेसीडेंसी में वनमाली सृजन केन्द्र इकाई विदिशा के तत्वावधान  में भोपाल के व्यंग्यकथाकार कुमार सुरेश के उपन्यास तंत्रकथा पर चर्चा गोष्ठी संपन्न हुई। जिसमें पद्मनाभ पाराशर, आनंद सौरभ उपाध्याय, लक्ष्मी कांत कालुस्कर, घनश्याम अमृत मैथिल और ब्रज श्रीवास्तव ने पूर्व टिप्पणी की, इसके बाद कुमार सुरेश ने उपन्यास तंत्रकथा के मुख्य अंशों का रोचक पाठ किया। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए ओम भारती ने कहा कि यह उपन्यास व्यवस्था की विसंगतियों पर सटीक प्रहार का एक व्यंग्य-दस्तावेज है। कालुस्कर जी ने कहा कि इस रचना ने राग दरबारी से आगे की बातें खोलीं हैं। अनुमा आचार्य ने भी अपनी राय दी।
कार्यक्रम में  दिनेश मिश्र ने कहा कि कुमार सुरेश समर्थ लेखक हैं। संचालक हरगोविंद मैथिल ने कहा कि उपन्यास तंत्रकथा देर तक स्मृति में रहने वाली रचना है।इस कार्यक्रम में विकास पचौरी, विजय चतुर्वेदी, शाहिद अली, रेखा दुबे, ममता गुर्जर, राजेन्द्र श्रीवास्तव, उदय ढोली, अनिल श्रीवास्तव, सुरेश शर्मा, वीके जैन, धर्म चतुर्वेदी, सुलखान सिंह हाड़ा सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे। वनमाली सृजन केन्द्र की विदिशा इकाई के इस कार्यक्रम का आभार प्रकट किया सुदिन श्रीवास्तव ने।

*रपट - ब्रज श्रीवास्तव*

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