‘आँख भर आकाश’ काव्य संग्रह में आधुनिक जीवन की सबसे बड़ी समस्या को शामिल किया गया है वह
समस्या है- ‘हाशिये के लोग’।
इस कविता संग्रह में संकलित कुछ कविताएँ देश के
आधुनिक जन इतिहास का, स्वातन्त्रयोत्तर भारत का दहकता दस्तावेज हैं।
मज़दूर वर्ग हमारे समाज का वह वर्ग है जिसकी ओर किसी का कोई ध्यान नहीं जाता। सब
बस बड़े आदमी बनना चाहते हैं। कोई भी नीचे नहीं देखता कि गरीब मजदूर क्या चाहता है? वह भी तो आम आदमी की तरह रोटी, कपड़ा और मकान चाहता है। पर क्या उसे दो वक्त की रोटी नसीब
हो पाती है? नहीं। क्यों? क्योंकि कोई उसकी ओर नहीं देखता। एक मजदूर सुबह से लेकर शाम तक मेहनत करता है
फिर भी एक सुखी जिंदगी व्यतीत नहीं कर पाता क्योंकि हमारा समाज उसे नीची नजरों से
देखता है।
हमारे देश के गरीब मजदूर के हालात से तो आप सभी
वाकिफ ही होंगे। मजदूर की परिभाषा क्या है? दुःख, दरिद्रता, भूख, अभाव, कष्ट, मज़बूरी, शोषण और अथक परिश्रम- इन सबको मिला दें तो भारतीय मजदूर की तस्वीरें उभर कर
आती हैं। भारतीय मजदूर दो वक़्त की रोटी और अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए
कड़ी मेहनत करते हैं। उनकी तरफ कवि ने ध्यान खींचने का बख़ूबी प्रयास किया है जो एक
समृद्ध समाज बना सके।
बृजेश नीरज को ‘आँख भर आकाश’ कविता संग्रह के लिए शुभकामनाएँ!
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विष्णु दुबे
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