Friday, 8 November 2019

शिक्षा के सवाल

'शिक्षा के सवाल' पर निरंतर लिखित और मौखिक प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। कुछ किताब में उठाये सवालों का समर्थन कर रहे हैं और कुछ  नये सवाल उठा रहे हैं। मैंने इस किताब में कोई सिद्धांत या निष्कर्ष नहीं प्रस्तुत किये हैं बल्कि अपने 27 साल के शैक्षणिक जीवन के अनुभवों के आधार पर जो देखा, समझा और किया है, उन्हें प्रस्तुत किया है। कुछ अपने तरह के प्रयोग हैं, जिन्हें परखे जाने की जरूरत है। मैं चाहता हूँ कि  इस बहाने शिक्षा के सवालों पर विस्तृत चर्चा हो। नए सवाल खड़े हों। ताकि हम शिक्षा की बहस को समाज और राजनीति के केंद्र में ला सकें और शिक्षा के असली लक्ष्यों को पूरा कर सकें। शिक्षा के द्वारा ही हम लोकतांत्रिक, विवेकशील, अहिंसक और शांतिमय समाज रच सकते हैं।  अपनी इस समीक्षा में सन्तोष जी ने कुछ सवाल उठाये हैं। मैं उनका स्वागत करता हूँ। 
धन्यवाद सन्तोष जी और उत्तर उजाला का।

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