मिथिलेश कुमार राय का संग्रह आया है। इसे पढ़ना ताजे हवा के झोंको के बीच होना है। ये कविताएँ गाँव के जीवन का कलात्मक दस्तावेज है। यहाँ गाँव की रूमानी तस्वीर नहीं है बल्कि सुख-दुख का पूरा वर्णक्रम है। इन कविताओं में एक तरह की चुस्ती है, स्फीति नहीं।इन कविताओं में पीछे छूट गए लोगों के निशान हैं।मिथिलेश जी को बधाई और शुभकामनाएँ।
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