अर्थ घनत्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं शशि पुरवार के हाइकु
- डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'
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#जोगिनी_गंध
(हाइकु संग्रह)
- शशि पुरवार
ISBN: 978-93-88839-30-3
पृष्ठ-144
मूल्य- ₹ 200
प्रकाशक- लोकोदय प्रकाशन, लखनऊ
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शशि पुरवार जी एक शानदार हाइकु कवयित्री हैं। कम शब्दों में बड़ी बात कह लेने का हुनर एक अच्छे हाइकु कवि की पहली विशेषता है। 5/7/5 अक्षर विन्यास के क्रम में कुल तीन पंक्तियों, यानी कि सत्रह अक्षर में सागर की गहराई माप लेने की क्षमता का कौशल हाइकु की अपनी विशिष्टता है। जापान से आयातित यह छन्द अब हिन्दी का दुलारा छन्द बन गया है। जोगिनी गंध के माध्यम से हाइकु कवयित्री शशि पुरवार जी ने हाइकु के विस्तार में अपना योगदान भी सुनिश्चित किया है। आपके हाइकु जहाँ अपनी बात बहुत सरलता से कह देते हैं, वहीं अर्थ घनत्व की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। देखें उनके कुछ हाइकु-
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छूटे संवाद
दीवारों पे लटके
वाद-विवाद।
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धूप सुहानी
दबे पाँव लिखती
छन्द रूमानी।
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प्रीत पुरानी
सूखे गुलाब बाँचे
प्रेम कहानी।
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"संवेदनाएँ जोगन ही तो हैं, जो नित भावों के भिन्न-भिन्न द्वार विचरण करती हैं। भावों के सुंदर फूलों की गंध में दीवानगी होती है, जो मदहोश करके मन को सुगन्धित कर देती है। इसी तरह साहित्य के अतल सागर में अनगिनत मोती छुपे हुए हैं। जितना गहराई में जाओ, हाथ कभी खाली बाहर नहीं आते हैं। संवेदनाओं को भिन्न-भिन्न रूप में व्यक्त करना जहाँ हृदय को सुकून प्रदान करता है, वहीं मन इन्हीं जोगनी गंधों में असीम सुख का अनुभव करने लगता है।"
- शशि पुरवार (भारत की 100 अचीवर्स में से एक)
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#जोगिनी_गंध
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